मिशन गौरव - शताब्दी वर्ष

100

संचालन अवधि वर्ष

28543

कुल विद्यालय

2957689

वर्ष 2020 में हाई स्कूल के परीक्षार्थी

2479318

वर्ष 2020 में इण्टरमीडिएट के परीक्षार्थी

गौरवपूर्ण अतीत के सुनहरे पल

1921

माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना

संयुक्त प्रान्त में हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट शिक्षा की पद्धति का विनियम और पर्यवेक्षण करने के संबंध में इलाहाबाद विश्वविद्यालय का स्थान लेने के लिए तथा उसके लिए पाठ्यक्रम विहित करने के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद की स्थापना हेतु इण्टरमीडिएट शिक्षा अधिनियम,1921 बनाया गया। यह अधिनियम 1 अप्रैल 1922 को प्रवृत हुआ । तब से परिषद् हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट परीक्षाओं का सुचारू रूप से संचालन कर रही है ।

1923

प्रथम परीक्षा का आयोजन

माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा हाईस्कूल तथा इण्टरमीडिएट की प्रथम परीक्षा का आयोजन ।

1973

क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना

क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ की स्थापना ।

1978

क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना

क्षेत्रीय कार्यालय वाराणसी की स्थापना ।
हाईस्कूल/इण्टरमीडिएट परीक्षा के कतिपय आंशिक जिलों के परीक्षाफलों को कम्प्यूटर द्वारा तैयार कराया गया।

1979

परीक्षाफलों को कम्प्यूटर द्वारा तैयार कराया गया

1979 से प्रदेश के समस्त जिलों का परीक्षाफल कम्प्यूटर द्वारा तैयार कराया गया।

1981

क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना

क्षेत्रीय कार्यालय बरेली की स्थापना ।

1986

स्व-वित्तपोषित (वित्तविहीन) मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था

विद्यालयों को स्व-वित्तपोषित(वित्तविहीन) मान्यता प्रदान करने की व्यवस्था लागू।

1987

प्रयागराज में बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना

क्षेत्रीय कार्यालय इलाहाबाद(प्रयागराज) की स्थापना।

2001

अग्रिम पंजीकरण कराने की व्यवस्था लागू

कक्षा-9/11 के छात्र-छात्राओं के परीक्षापूर्व अग्रिम पंजीकरण कराने की व्यवस्था लागू ।
परिषदीय परीक्षाफलों को सर्वप्रथम आंशिक रुप से प्रथम बार इण्टरनेट पर उपलब्ध कराया गया ।

2002

उत्तरांचल राज्य का गठन

उत्तरांचल राज्य के गठन के पश्चात उत्तर प्रदेश से पृथक हुये जनपदों की हाईस्कूल/ इण्टरमीडिएट की परीक्षायें माध्यमिक शिक्षा परिषद से इतर उत्तरांचल बोर्ड द्वारा सम्पादित करायी गयीं।
हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट प्रमाणपत्रों में प्रथमबार परीक्षार्थी की माता का नाम भी अंकित कराया गया।

2003

इण्टरनेट पर परीक्षाफल उपलब्ध कराया गया

2003 से परीक्षाफलों को समग्ररुप से अंकपत्र के स्वरुप में इण्टरनेट पर उपलब्ध कराया गया।

2005

हिन्दी के साथ अंग्रेजी में प्रमाणपत्रों को मुद्रित कराया गया

हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट प्रमाणपत्रों में प्रि-प्रिंटेड विवरणों को हिन्दी के साथ अंग्रेजी में भी मुद्रित कराया गया ।

2007

अंकपत्र तथा प्रमाणपत्र को एकीकृत किया गया

हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट के अलग-अलग मुद्रित हो रहे अंकपत्र तथा प्रमाणपत्र को एकीकृत करके उन्हे एक ही फार्मेट में प्रमाण सह अंकपत्र के रुप में मुद्रित कराया गया।

2013

ऑनलाइन पोर्टल की शुरुआत

कक्षा 9 से 12 तक के छात्र/छात्राओं के शैक्षिक विवरणों को परम्परागत आवेदनपत्र से इतर आनलाइन लेने हेतु आनलाइन पोर्टल upmsp.edu.in की स्थापना की गयी।

2015

हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट का परीक्षाफल

परिषद के इतिहास में प्रथम बार हाईस्कूल एवं इण्टरमीडिएट का परीक्षाफल एक साथ एक ही तिथि एवं समय पर घोषित किया गया।

2016

अनुपस्थिति / उपस्थिति के आनलाइन विवरण

परीक्षा केन्द्रो पर परीक्षार्थियों के अनुपस्थिति के विवरण प्रथमबार आनलाइन लिये गये।

2017

आनलाइन उपस्थिति का दायरा बढ़ाया गया

विद्यालयों की मान्यता आनलाइन ।
जनहित गारेन्टी अधिनियम लागू ।
क्षेत्रीय कार्यालय गोरखपुर की स्थापना ।

2018

परीक्षा केन्द्रो का निर्धारण प्रथमबार साफ्टवेयर के माध्यम से कराया गया

परीक्षा केन्द्रो का निर्धारण प्रथमबार साफ्टवेयर के माध्यम से कराया गया तथा साथ ही परीक्षा कक्षों में सी0सी0टी0वी0 का प्रयोग किया गया।

2020

परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण/पर्यवेक्षण पर राज्यस्तरीय कन्ट्रोल

परीक्षा केन्द्रो पर सी0सी0टी0वी0, वायस रिकार्डर, एवं राउटर आदि स्थापित कराकर प्रथमबार वेबकास्टिंग के माध्यम से परीक्षा केन्द्रो का निरीक्षण/पर्यवेक्षण राज्यस्तरीय कन्ट्रोल के माध्यम से कराया गया।

गौरवमयी शताब्दी वर्ष - 2021

गौरवपूर्ण अतीत के साये में उज्जवल भविष्य के संकल्प

यह अत्यन्त हर्ष एवं गौरव का विषय है कि वर्ष 2021 में माध्यमिक शिक्षा परिषद शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। इस महत्वपूर्ण अवसर पर माध्यमिक शिक्षा परिषद से निकली हुयी उन अनेकोनेक महान विभूतियों को मिशन-गौरव के अन्तर्गत सम्मानित किया जाना है जिन्होने प्रदेश स्तर, राष्ट्रीय स्तर एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विविध क्षेत्रों में प्रदेश एवं देश का सम्मान एवं गौरव बढ़ाया है।